एक लाल परी की कहानी: दीपाली रैना
एक लाल परी की कहानी: दीपाली रैना
तेरा हर बार एक नया नाम सुना अरे वह दिन,
बस बीमार है, तबीयत खराब है,
और अभी लेटेस्ट सुना है एमएलसी,
पता नहीं पीरियड्स है या पति, नाम लेने में ही परहेज क्यों सिखाया है,
दर्द कितना होता है क्या किसी ने तुम्हें यह भी बताया है।
यह मत सोच लिख रही हूं मैं कि मिले तुझसे संवेदना की भीख,
बस चाहती हूं मैं इतना कि तू समय रहते तू कुछ सीख।
बेटी जब छोटी हो तभी उसको बतला दो,
एक लाल परी की कहानी बनाकर उसको यह सब सिखला दो,
यह लाल धब्बा उसे डराना दे उसके हौसलों को कहीं हरा न दे,
कह दो उसको की यह पक्की दोस्त है तुम्हारी जो हर महीने आएगी,
जब कई साल बाद तुमसे बिछड़ेंगे तो उथल पुथल सी मच जाएगी ।
हां जानती हूं मैं कि यह हम ही हैं जो जो sanitary pads ऐसे उठाते हैं जैसे बच्चे अपने ही घर में चोरी करके घबराते हैं,
इस सोच में बदलाव है लाना अब नए कल का नया है जमाना,
अपनी बेटी को यह बतलाना इस कल को तुम ही स्वरोगी,
इस लाल पारी से दोस्ती को नाज़ से फिर पालोगी।
बराबरी की कोई जंग नहीं है,
अलग है रंग रूप तुम्हारा अलग तुम्हारी है तासीर,
बस चाहती हूं मैं इतना कि बांध ना पाए तुम पर कोई जंजीर।
यह लाल परी तुम्हारे जीवन की एक अलग पहचान है,
कमजोरी ना कोई समझे इसको यह तुम्हारा सम्मान है।
Deepali Raina has a background in film-making and communications but her interests include counselling and guidance. She has worked with the National Skill Development Agency (now NCVET) and National Urban Livelihoods Mission where her work includes policy research, documentation, and revival of traditional skills. In her free time, she makes customized souvenirsfor her family.